साढ़े चार सौ बरस से बंशीवाला में मनाया जा रहा है नृसिंह भगवान का जयंती महोत्सव

  • 14 days ago
नागौर. भगवान नृसिंह की जयंती मंगलवार को मनाई जाएगी। इस मौके पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। बताते हैं कि यह परंपरा लगभग चार सौ से साढ़े चार सौ
नागौर. नृसिंह भगवान की जयंती मंगलवार को यानि की २१ मई को मनाई जाएगी। इसी दिन नगरसेठ बंशीवाला मंदिर में भगवान नृसिंह की जयंती पर अर्चन के साथ ही परंपरानुसार रम्मत की जाएगी। बताते हैं कि नृसिंह जयंती पर रम्मत का प्रचलन उतना ही पुराना है, जितना यह बंशीवाला मंदिर। नृसिंह की रम्मत देखने के लिए केवल शहर एवं आसपास से ही नहीं, विदेशों से भी लोग आते हैं। रम्मत के दौरान यहां पर भीड़ नहीं, श्रद्धा का सैलाब उमड़ता है। बुजुर्गों की माने तो यह श्रद्धा का यह ज्वार भी केवल वर्तमान में ही नहीं, बल्कि सैंकड़ों सालों से चलता चला रहा है। नागौर में रहने वाला देश एवं विदेश के किसी भी हिस्से में हो, लेकिन वह नृसिंह भगवान की रम्मत देखने जरूर बंशीवाला मंदिर पहुंचता है।
30 बरस तक लगातार रम्मत करने का रिकार्ड है इनका
बताते हैं कि नगरसेठ बंशीवाला में नृसिंह भगवान की सर्वाधिक बार रम्मत करने का रिकार्ड स्व. हरगोपाल जोशी के नाम रहा। बुजुर्गों की माने तो हरगोपाल जोशी ने वर्ष 1945 से यानि की आजादी के पूर्व से लगातार 30 बरस तक बंशीवाला में नृसिंह भगवान की रम्मत करते रहे। इसके बाद यह जिम्मेदारी जबरचंद व्यास, ललित आचार्य उर्फ लल्लू सा मगनलाल बोरा ने निभाई है। इनके बाद से अब तक ललित नारायण बोहरा, राकेश बोड़ा व केडी जोशी आदि निभाते चले आ रहे हैं। वैसे तो इसका कोई लिखित इतिहास या साक्ष्य काफी तलाशने पर भी नहीं मिला, लेकिन बुजुर्गों की जुबानी माने तो स्व. हरगोपाल जोशी 1945 से यानि की आजादी के तीस सालों तक रम्मत की, इसी तरह स्व. स्व. जब्बरचंद व्यास 1980 से से कई साल तक रम्मत की। इसके पश्चात ललित आचार्य ने 1990 से रम्मत शुरू की थी, और लगभग १२ साल तक लगातार की।
पहले ऐसे बनता था मुखौटा
पुराने समय में नरसिंह का शुरू बनाने के लिए कागज की लुगदी को कूटकर उसमें गुड गूगल दाना मेथी को ग्राइंड करके बनाया जाता था लेकिन वर्तमान के कारीगर श्री श्यामसुंदर जी सोनी अपनी नई कला से कागज को परत दर परत चिपका कर स्वरूप का निर्माण करते हैं श्यामसुंदर जी सोनी कुछ केमिकल का इस्तेमाल करते हुए शुरू को मजबूती प्रदान करते हैं जिससे सीलन बारिश या नबी में स्वरूप को किसी प्रकार का कोई नुकसान ना हो। पेंटर श्याम सुंदर सोनी के नाम से ख्यात सोनी ने बताया कि वह पिछले 35-40 बरसों से नृसिंह भगवान का मुखौटा बनाते चले आ रहे हैं। इसके निर्माण के दौरान वह भी निर्धारित धार्मिक प्रावधानों का पूरा ध्यान रखते हैं।
पुष्करणा समाज करता है नृसिंह उत्सव का आयोजन
नृसिंह भगवान की रम्मत के साथ ही उनके मलूका को देखने के लिए इस बार भी बंशीवाला में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई है। भगवान विष्णु के अवतार में भगवान नृसिंह अवतार माना जाता है। भगवान विष्णु का छठा अवतार नृसिंह अवतार के रूप में पूजित है। प्राचीन काल से चली आ रही इस परंपरा को आज भी जीवित रखने में नागौर के पुष्करणा समाज का अहम योगदान है। आज भी भगवान नृसिंह अवतार यानि की रम्मत के लिए चयन पुष्करणा समाज के व्यास राजा साहब की ओर से ही किया जाता है। वर्तमान में राजा साहब के पद पर पुखराज व्यास हैं। यह पिछले करीब पंद्रह वर्षों से चयन करते चले आ रहे हैं। बताते हैं कि अमरसिंह राठौड़ के प्रधान सेनापति गिरधर व्यास थे। इनको अमरसिंह राठौड़ ने ही राजा साहब की पदवी से नवाजा था। तभी इनका परिवार राजा साहब का प्रतिनितधित्व इसी पदवी के साथ करता चला आ रहा है।

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